आज अगर आप लोगों से यह सवाल करें कि 'सुखी जीवन क्या है?', तब आपको अलग-अलग उत्तर मिलेंगे। हर व्यक्ति की 'सुखी जीवन' कि अपनी परिभाषा होगी। कोई थोड़े में ही सुखी है और कोई बहुत कुछ मिलने पर भी सुखी नहीं है। सुखी जीवन के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जरूरी है। ऐसे कितने लोग है जिन के पास मकान नहीं है, जो किसी तरह अपने तन को ढँक पाते है, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती। ऐसे लोग भी हें जिनके महल जैसे एक से ज्यादा मक्कन हें, जिनके पास इतने कपड़े हें की उन्हें याद भी अन्हीं, जो रोज अनेकों पकवानों का आनंद उठाते हें। पर क्या सब सुखी हैं? नहीं सब सुखी नहीं हैं।
सुखी जीवन में तन और मन दोनों सुखी होने चाहियें। तन के सुख के लिए कुछ न्यूनतम आवश्यकताएं हैं। इन्हें पाकर मनुष्य सुखी हो सकता है, पर यदि वह अपनी आवश्यकताएं बहुत अधिक बढ़ा लेगा तब उन्हें पूरा करने के लिए ग़लत-सही तरीके अपनाएगा और पूरी न होने पर दुखी हो जायेगा। आज कल समाज में ऐसे दुखी व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
हमारा सोच अगर सकारात्मक है तब हमारा जीवन सुखी होगा। संतोष और परोपकार की भावना हमें सुखी बनाती है।
हर इंसान चाहता है उस का जीवन सुखी हो. इस के लिए वह सारे प्रयत्न करता है. कुछ सफल होते हैं. कुछ नहीं. फ़िर लोगों की अपनी अलग परिभाषाएं हैं सुखी जीवन की. कुछ लोग थोड़ा पाकर भी खुश हो जाते हैं. कुछ लोग बहुत कुछ पाकर भी खुश नहीं होते. आईये इस ब्लाग में इस पर चर्चा करें.
दुःख का अनुभव किए बिना सुख का महत्व पता नहीं चलता. इस लिए दुःख से घबराना नहीं चाहिए. दुःख से सीखना चाहिए. समस्याओं के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण रखने से अनेक समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं. मनुष्य को प्रकृति से सीखना चाहिए, उस से मुकाबला नहीं करना चाहिए. प्रकृति के नियमों का अनुसरण करके सुखी जीवन जिया जा सकता है.
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सुखी जीवन का रहस्य
दूसरों के सुख में सुखी होंगे तो आपका अपना जीवन सुखी होगा
1 comment:
Freedom of expression stops the moment it starts hurting other people. Hussain has a woman as his mother. He should have painted her nude as a masterpiece of art.
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