आप 'सो कर उठने' से 'सो जाने तक' कोई न कोई काम करते रहते हैं. कुछ काम आप अपनी मर्जी से करते हैं और कुछ काम दूसरों के कहने पर. दफ्तर में बास आप को काम करने के लिए कहता है. आप का दिन कैसा गुजरा यह इस बात पर निर्भर करता है कि कितने कामों में आप को सफलता मिली.
मैं आज आप को एक मन्त्र देता हूँ, इस मंत्र के प्रयोग से आप के कामों के सफल होने की संभावना अधिकतम हो जायेगी. यह मंत्र है - 'क' का कमाल.
जब भी आप कोई काम करें, यह चार सवाल पूछिये -
क्या करना है?
क्यों करना है?
कैसे करना है?
कब तक करना है?
'क्या' से आप को काम के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी. अक्सर यह देखा गया है कि लोग पूरी जानकारी लिए बिना काम शुरू कर देते है और बाद में परेशान हो जाते हैं. न तो काम समय से पूरा हो पाता है और न ही जिनके लिए काम कर रहे हैं वह पूरी तरह संतुष्ट हो पाते है. यदि आप नौकरी करते हैं तो आप का बास आप से नाराज हो जाता है. अगर आप बिजनेस करते हैं तो आप के ग्राहक आप से नाराज हो जाते हैं. दोनों ही मामलों में आप को हानि उठानी पड़ती है. इसलिए क्या करना है यह बात अच्छी तरह समझ लीजिये. काम करने के लिए जो भी जानकारी चाहिए वह ले लीजिये.
उसके बाद यह जानना जरूरी है कि यह काम आप 'क्यों' कर रहे है? अगर आप को काम की अहमियत का पता है तब आप उस में लापरवाही नहीं करेंगे. अक्सर यह देखा गया है कि लोग अपने काम में लापरवाही बरत जाते हैं और जब उनसे पूछा जाता है कि यह काम समय से क्यों नहीं हुआ, या काम में गलती क्यों हुई तब उन का जवाब होता है मुझे पता नहीं था कि यह काम इतना महत्वपूर्ण था.
अब आता है 'कैसे' करना है? अगर आपको काम कैसे करना है यह ही पता नहीं है तब आप काम कैसे करेंगे? इसलिए जब भी आप कोई काम करें या आप को कोई काम करने को कहा जाए तब यह अवश्य जान लें कि काम को करना कैसे है. काम की अहमियत को देखते हुए आप के पास आवश्यक अनुभव और दक्षता होनी चाहिए. इन के अभाव में आप काम ठीक से नहीं कर पायेंगे और परिणाम हानिकारक होगा.
आखिरी सवाल है, कब तक करना है? यह बहुत जरूरी है. लगभग हर काम के लिए एक समय सीमा निश्चित होती है. अगर काम समय तक नहीं लिया गया तो उसकी उपयोगिता ही कम या पूरी तरह समाप्त हो जाती है. इसका परिणाम भी हानिकारक ही होता है.
मेरा यह ब्यक्तिगत अनुभव है कि यह चार सवाल आप को अपने कामों में सफलता मिलने में पूरी सहायता करेंगे. सोचिये और पूछिये, फ़िर देखिये क्या होता है.
आगे के भागों में मैं हर सवाल पर विस्तृत चर्चा करूंगा. अपनी टिपण्णी देना न भूलियेगा.
हर इंसान चाहता है उस का जीवन सुखी हो. इस के लिए वह सारे प्रयत्न करता है. कुछ सफल होते हैं. कुछ नहीं. फ़िर लोगों की अपनी अलग परिभाषाएं हैं सुखी जीवन की. कुछ लोग थोड़ा पाकर भी खुश हो जाते हैं. कुछ लोग बहुत कुछ पाकर भी खुश नहीं होते. आईये इस ब्लाग में इस पर चर्चा करें.
दुःख का अनुभव किए बिना सुख का महत्व पता नहीं चलता. इस लिए दुःख से घबराना नहीं चाहिए. दुःख से सीखना चाहिए. समस्याओं के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण रखने से अनेक समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं. मनुष्य को प्रकृति से सीखना चाहिए, उस से मुकाबला नहीं करना चाहिए. प्रकृति के नियमों का अनुसरण करके सुखी जीवन जिया जा सकता है.
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गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
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सुखी जीवन का रहस्य
दूसरों के सुख में सुखी होंगे तो आपका अपना जीवन सुखी होगा
1 comment:
आपने जीवन के महत्वपूर्ण सवालों को "क" से जोड कर हमारी सोच को एक नयी दिशा प्रदान की है। इन सुविचारों से लाभान्वित करने के लिए आभार।
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