दुःख का अनुभव किए बिना सुख का महत्व पता नहीं चलता. इस लिए दुःख से घबराना नहीं चाहिए. दुःख से सीखना चाहिए. समस्याओं के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण रखने से अनेक समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं. मनुष्य को प्रकृति से सीखना चाहिए, उस से मुकाबला नहीं करना चाहिए. प्रकृति के नियमों का अनुसरण करके सुखी जीवन जिया जा सकता है.

Wednesday, July 09, 2008

जय बजरंग बली, तोड़ दुश्मन की नली

जय बजरंग बली, तोड़ दुश्मन की नली

मेरे एक जानकार हैं. उनकी एक आदत है, वह अक्सर यह कहते हैं - 'जय बजरंग बली, तोड़ दुश्मन की नली'. वह जब भी ऐसा कहते हैं, मैं उन्हें टोकता हूँ पर उनकी यह आदत नहीं छूटती.

ईश्वर से अपने लिए कुछ भी मांगने में कोई बुराई नहीं है. पर किसी और का नुक्सान हो, इस के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना कैसी अजीब बात है. हम किसी दूसरे का नुक्सान चाहते हैं और इस के लिए ईश्वर से कहते हैं की वह हमारा यह काम कर दे. मतलब यह हुआ कि हमने ईश्वर को ही अपने दुश्मन के नाम की सुपारी दे दी.

मैंने एक किताब में पढ़ा - "दूसरों को सुख पहुंचाना महान धर्म है". तुलसीदास जी ने कहा है - "पर हित सरिस धर्म नहीं भाई". ईश्वर पिता हैं, हम सब उनके पुत्र हैं, हम सब में ईश्वर का निवास है. हम अगर किसी का नुक्सान करते हैं, उन्हें दुःख पहुंचाते है, तो वास्तव में हम ईश्वर को दुःख पहुंचाते हैं. क्या कभी हमने सोचा है कि ईश्वर को दुःख पहुँचा कर हम कितना महान पाप कर रहे हैं?

हमारा जीवन सुखी हो इसका एक उपाय है कि हम अपने स्वार्थ की बात उठते ही उसे काटें, और दूसरों के हित की बात उठे तो उसका पोषण करें. दूसरे का हित ही वास्तव में हमारा धन है. एक यही धन हमारे साथ जायेगा. इसे जितना कमा सकेँ कमायें.

1 comment:

Anonymous said...

ha aap sahi kha rhe hai.

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

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सुखी जीवन का रहस्य

दूसरों के सुख में सुखी होंगे तो आपका अपना जीवन सुखी होगा