एक ख़बर के अनुसार अमरीका की जासूसी एजेंसी सीआइए ने वर्ष १९६५ में हिमालय के नंदा देवी में एक परमाणु-चालित बगिंग यंत्र लगाया था, जिसका उद्देश्य चीन पर जासूसी करना था. यह यंत्र एक तूफान में अपनी जगह से हट गया और अब कोई नहीं जानता यह यंत्र कहाँ है. सीआइए ने जिस टीम को इस काम पर लगाया था, उसके एक सदस्य ने यह जानकारी दी है. इस सदस्य के अनुसार यह यंत्र किसी भी समय खुल सकता है और उस के बाद भयंकर तबाही मचा सकता है. इस यंत्र से निकले रेडियोएक्टिव पदार्थ गंगा के पानी में मिलकर उसे दूषित कर देंगे और हिमालय से समुद्र तक बहने वाली गंगा के पानी से तबाही मचा देंगे.
अगर यह ख़बर सही है तब भारत सरकार को तुंरत इस पर कार्यवाही करनी चाहिए. क्या अमरीका ने यंत्र लगाने के लिए भारत सरकार की मंजूरी ली थी? अब अगर यह हादसा हो गया तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? अमरीका से तुंरत जवाब तलब किया जाना चाहिए. अमरीका में इसके लिए जिम्मेदार विभाग और व्यक्तियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
हर इंसान चाहता है उस का जीवन सुखी हो. इस के लिए वह सारे प्रयत्न करता है. कुछ सफल होते हैं. कुछ नहीं. फ़िर लोगों की अपनी अलग परिभाषाएं हैं सुखी जीवन की. कुछ लोग थोड़ा पाकर भी खुश हो जाते हैं. कुछ लोग बहुत कुछ पाकर भी खुश नहीं होते. आईये इस ब्लाग में इस पर चर्चा करें.
दुःख का अनुभव किए बिना सुख का महत्व पता नहीं चलता. इस लिए दुःख से घबराना नहीं चाहिए. दुःख से सीखना चाहिए. समस्याओं के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण रखने से अनेक समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं. मनुष्य को प्रकृति से सीखना चाहिए, उस से मुकाबला नहीं करना चाहिए. प्रकृति के नियमों का अनुसरण करके सुखी जीवन जिया जा सकता है.
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सुखी जीवन का रहस्य
दूसरों के सुख में सुखी होंगे तो आपका अपना जीवन सुखी होगा
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