दुःख का अनुभव किए बिना सुख का महत्व पता नहीं चलता. इस लिए दुःख से घबराना नहीं चाहिए. दुःख से सीखना चाहिए. समस्याओं के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण रखने से अनेक समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं. मनुष्य को प्रकृति से सीखना चाहिए, उस से मुकाबला नहीं करना चाहिए. प्रकृति के नियमों का अनुसरण करके सुखी जीवन जिया जा सकता है.

Sunday, November 09, 2008

लालच

जीवन एक वृक्ष है. 
प्रेम और संतोष से सींचिये उसे. 
लालच विष समान है.
धीरे-धीरे जलाता है उसे.  

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

तभी तो हमारे बुजुर्गो ने कहा है कि लालच का त्याग करना चाहिये.
धन्यवाद

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

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