जीवन एक वृक्ष है.
प्रेम और संतोष से सींचिये उसे.
लालच विष समान है.
धीरे-धीरे जलाता है उसे.
हर इंसान चाहता है उस का जीवन सुखी हो. इस के लिए वह सारे प्रयत्न करता है. कुछ सफल होते हैं. कुछ नहीं. फ़िर लोगों की अपनी अलग परिभाषाएं हैं सुखी जीवन की. कुछ लोग थोड़ा पाकर भी खुश हो जाते हैं. कुछ लोग बहुत कुछ पाकर भी खुश नहीं होते. आईये इस ब्लाग में इस पर चर्चा करें.
1 comment:
तभी तो हमारे बुजुर्गो ने कहा है कि लालच का त्याग करना चाहिये.
धन्यवाद
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